संदेश
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मूलआधार है जो 50% से अधिक रोजगार सृजन और कई कृषि आधारित उद्योगों का समर्थन करता है। हालांकि, हरित क्रांति ने देश में भूखमरी जैसी समस्याओं से बचाया है, परंतु हमे कुपोषण जैसी छिपी हुई भूखमरी को भी जीतने की जरूरत है। भारत ने 250 मिलियन टन से अधिक अनाज का उत्पादन कर चुका है लेकिन यह एक बड़ी चिंता का विषय है कि इसकी पर्याप्त मात्रा फसल प्रसंस्करण सुविधाओं व उचित भंडारण की कमी के कारण खराब हो जाती है। बागवानी और सब्जियों के उत्पादन की स्थिरता के मामले में स्थिति और भी जायदा खराब है हमे भारतीय कृषि समुदाय द्वारा बम्पर फसल के कारण सड़क पर टमाटर और आलू को फेंकने जैसे कई चौंकाने वाला समाचार प्राप्त होते रहते हैं। इसीलिए हमे नवीनतम जैव-तकनीकी दृष्टिकोणों का उपयोग करके देश में पोषण क्रांति लाने के साथ साथ जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादनों को बचाने की जरूरी आवश्यकता है अब देश में कृषि-खाद्य क्षेत्र में किसी भी अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम को डिजाइन करते समय हमें मात्रा के साथ गुणवत्ता के बारे में भी सोचना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध जैव प्रौद्योगिकी उपकरण, डिजाइनर फसलों के विकास में तेजी ला सकता है। कई देशों में कृषि उत्पादन के लिए ट्रांसजेनिक तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है अन्य महत्वपूर्ण लक्षण जैसे कि जड़ी-बूटी सहिष्णुता, कीट- प्रतिरोधता, वायरस प्रतिरोधता, फल के पकने में देरी, तेल की गुणवत्ता और संरचना, पोषण वृद्धि, और बहाली प्रणाली को पहले से ही विभिन्न जैव प्रौद्योगिकी दृष्टिकोणों का उपयोग करके लक्षित किया जा चुका है इसके अलावा, कई ओमिक दृष्टिकोणों ने फसल पौधों के जटिल जीनोम को डीकोड करना संभव बना दिया है इससे हमे बेहतर फसलों की किसमे बनाने में मदद मिली है जोकि जैविक और अजैविक तनाव के प्रति प्रतिरोधी है। हालांकि, अभी पौष्टिक फसल की किस्मों के विकास की प्रगति धीमी है

राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (नाबी), मोहाली में कृषि, खाद्य और पोषण जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोध के उद्देश्य से स्थापित किया गया है संस्थान प्राथमिक रूप से 4 क्षेत्रों में काम कर रहा है (i) पोषण और प्रसंस्करण गुणवत्ता के लिए फसलों में सुधार (ii) फसल की गुणवत्ता और पोषण के लिए फल में सुधार करना (iii) फसल सुधार के लिए बुनियादी जीव विज्ञान (iv) बेहतर स्वास्थ्य के लिए खाद्य पदार्थ और (v) मार्कर और जीन खोज के लिए जीनोमिक्स और कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान। जैसे ही हम बुनियादी ढांचे और कुशल मानव संसाधनों में विकसित होंगे इन क्षेत्रों को आगे बढ़ाया जाएगा। भविष्य में हम देश में पोषण क्रांति लाने पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं व बेहतर पोषण और कार्यात्मक खाद्य पदाथों के लिए डिजाइनर फसलों को नवीनतम आणविक जीव विज्ञान तकनीकों से विकसित किया जाएगा। हम कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी, पोषण संबंधी जीव विज्ञान व अंत उपयोगकर्ताओं के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन के विकास पर अपना पर ध्यान केंद्रित करेंगे।